दीप्ति जीवनजी: एक ऐसी पैरा एथलीट, जिन्होंने विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड के साथ तोड़ा वर्ल्ड रिकॉर्ड

दीप्ति जीवनजी

परिचय: भारत की धरती ने हमेशा से ही ऐसे जज़्बे और संघर्ष की कहानियों को जन्म दिया है, जो करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा बन जाती हैं। ऐसी ही एक कहानी है दीप्ति जीवनजी (Deepthi Jeevanji) की — एक पैरा एथलीट, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों को मात देते हुए न केवल दौड़ लगाई, बल्कि इतिहास रच दिया।

कौन हैं दीप्ति जीवनजी?

दीप्ति जीवनजी, तेलंगाना की रहने वाली एक युवा पैरा एथलीट हैं। उन्होंने 2024 में पेरिस में आयोजित वर्ल्ड पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा। यह उपलब्धि सिर्फ एक पदक नहीं थी, बल्कि उनके हौसले, मेहनत और भारत की नई सोच का प्रतीक बन गई।

रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन

दीप्ति ने 400 मीटर टी20 वर्ग (मानसिक रूप से दिव्यांग श्रेणी) में भाग लिया और सिर्फ 55.07 सेकंड में दौड़ पूरी कर डाली। यह सिर्फ उनके करियर का नहीं, बल्कि एशिया और विश्व का नया रिकॉर्ड बन गया। इससे पहले यह रिकॉर्ड 2017 में अमेरिका की Breanna Clark के नाम था। दीप्ति का प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि सही दिशा और हौसले के साथ कोई भी बाधा अजेय नहीं होती।

परिवार और प्रेरणा

दीप्ति का सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने साधारण परिवार से आने के बावजूद कभी हार नहीं मानी। उनके माता-पिता ने हमेशा उनका हौसला बढ़ाया और समाज की परवाह किए बिना उन्हें ट्रेनिंग दिलाई। उनकी मेहनत को पहचान तब मिली जब उन्होंने राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और फिर राष्ट्रीय टीम में चयन हुआ।

प्रशिक्षण और तैयारी

दीप्ति ने कड़ी ट्रेनिंग और पेशेवर कोचिंग के दम पर यह मुकाम हासिल किया। उन्होंने हर दिन 6–8 घंटे तक अभ्यास किया, अपनी डायट और मानसिक फिटनेस पर ध्यान दिया। ट्रैक पर उनकी दृढ़ता और मैदान में अनुशासन ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खास पहचान दिलाई।

देशभर से मिल रही सराहना

दीप्ति के गोल्ड मेडल और रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन के बाद, सोशल मीडिया पर बधाइयों का तांता लग गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, खेल मंत्री अनुराग ठाकुर, और कई बड़ी हस्तियों ने उन्हें बधाई दी। खेल मंत्रालय की ओर से उन्हें विशेष सम्मान और पुरस्कार की भी घोषणा की गई है।

भविष्य की योजनाएं

दीप्ति अब 2028 ओलंपिक और अन्य अंतरराष्ट्रीय इवेंट्स की तैयारी में जुटी हैं। उनका लक्ष्य है कि वे भारत को और अधिक पदक दिलाएं और नए युवाओं के लिए रोल मॉडल बनें। उनका मानना है कि अगर सरकार और समाज साथ दे, तो भारत से सैकड़ों दीप्ति जैसे सितारे निकल सकते हैं।

प्रेरणा की कहानी

दीप्ति जीवनजी की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की नहीं, बल्कि हर उस इंसान की है जो मुश्किलों से लड़कर आगे बढ़ता है। उन्होंने दिखा दिया कि ‘दिव्यांगता कोई कमजोरी नहीं, बल्कि अलग पहचान होती है’। उनकी सफलता न सिर्फ खेल की दुनिया के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है।

दीप्ति जीवनजी आज भारत की नई पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनका संघर्ष, मेहनत और सफलता इस बात का सबूत है कि अगर मन में जज़्बा हो तो कोई भी सपना छोटा नहीं होता। The New Age India दीप्ति की इस शानदार उपलब्धि को सलाम करता है और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।