Urban Monkey: वह ब्रांड जिसने तीन शार्क्स को “ना” कहा और ₹100 करोड़ की कंपनी बना डाली

Urban Monkey: वह ब्रांड जिसने तीन शार्क्स को "ना" कहा और ₹100 करोड़ की कंपनी बना डाली

जब भी कोई स्टार्टअप Shark Tank India में जाता है, तो उसकी कोशिश होती है कि वह निवेशकों को अपनी कंपनी में निवेश के लिए मना सके। लेकिन यश गंगवाल ने तीन शार्क्स के ऑफर ठुकरा दिए और आज उनका ब्रांड Urban Monkey ₹100 करोड़ के मूल्यांकन तक पहुंच चुका है। यह सिर्फ एक स्ट्रीटवियर ब्रांड की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे विज़न की कहानी है जिसने भारतीय हिप-हॉप और स्ट्रीट कल्चर को बढ़ावा दिया।

हांगकांग से भारत: स्ट्रीटवियर ब्रांड बनाने का सफर

2014 में, यश गंगवाल एक स्थिर करियर के साथ हांगकांग में काम कर रहे थे। लेकिन उन्होंने देखा कि भारत में स्ट्रीटवियर और स्केटबोर्डिंग कल्चर की संभावनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। उस समय भारतीय बाजार में इस क्षेत्र में कोई बड़ा ब्रांड मौजूद नहीं था। उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय लिया और भारत लौटकर Urban Monkey की शुरुआत की। उनका उद्देश्य एक ऐसा ब्रांड बनाना था जो भारतीय हिप-हॉप और स्केटबोर्डिंग कम्युनिटी से गहराई से जुड़ा हो।

बिना Amazon और Flipkart के ₹100 करोड़ की कंपनी कैसे बनी

आमतौर पर, फैशन ब्रांड्स अपने उत्पादों को बेचने के लिए Amazon और Flipkart जैसी ई-कॉमर्स साइट्स का सहारा लेते हैं। लेकिन यश गंगवाल ने एक अलग रास्ता चुना। Urban Monkey ने पूरी तरह से अपनी खुद की वेबसाइट से बिक्री करने पर ध्यान दिया। इस रणनीति से कंपनी ने अपना ब्रांड कंट्रोल बनाए रखा और सभी मुनाफे पर मालिकाना हक रखा। इससे सीधे उन लोगों से जुड़ने का मौका मिला जो स्ट्रीटवियर और हिप-हॉप कल्चर को समझते हैं। यह निर्णय जोखिम भरा था, लेकिन इसका असर सकारात्मक रहा। Urban Monkey को ग्राहकों से सीधे फीडबैक मिलने लगा और ब्रांड की ऑथेंटिसिटी बरकरार रही।

भारतीय हिप-हॉप कल्चर से जुड़ाव ने बदली तस्वीर

Urban Monkey की सफलता का एक बड़ा कारण यह था कि उन्होंने खुद को सिर्फ एक कपड़ों के ब्रांड तक सीमित नहीं रखा।

  • 50 से अधिक स्वतंत्र हिप-हॉप कलाकारों को सहयोग दिया।
  • 400 से अधिक म्यूजिक वीडियो को फंड किया।
  • भारतीय स्केटबोर्डिंग और स्ट्रीट आर्ट कम्युनिटी के साथ गहरा रिश्ता बनाया।

इस रणनीति ने Urban Monkey को एक ब्रांड के बजाय एक पहचान बना दिया, जिससे युवा उपभोक्ताओं से गहरा जुड़ाव बना।

Gully Boy फिल्म के बाद Urban Monkey की लोकप्रियता बढ़ी

Urban Monkey को असली पहचान तब मिली जब 2019 में आई फिल्म Gully Boy में रणवीर सिंह और अन्य कलाकारों ने इस ब्रांड के प्रोडक्ट पहने।

  • इस फिल्म ने भारतीय हिप-हॉप को मुख्यधारा में ला दिया।
  • Urban Monkey के डिजाइन और ब्रांडिंग को बड़े स्तर पर पहचान मिली।
  • ब्रांड की मांग तेजी से बढ़ने लगी और ऑर्गेनिक ग्रोथ होने लगी।

Gully Boy के माध्यम से Urban Monkey भारतीय युवाओं की पसंद बन गया और हिप-हॉप कल्चर का अहम हिस्सा बन गया।

Shark Tank India पर तीन निवेशकों को “ना” कहा

जब यश गंगवाल Shark Tank India में पहुंचे, तो कई निवेशकों ने उनके ब्रांड में दिलचस्पी दिखाई। लेकिन उन्होंने किसी का भी ऑफर स्वीकार नहीं किया।

  • उन्होंने साफ कहा कि उन्हें निवेश की जरूरत नहीं है, क्योंकि उन्हें अपने ब्रांड और बिजनेस मॉडल पर पूरा भरोसा था।
  • वह अपने ब्रांड की स्वतंत्रता बनाए रखना चाहते थे और अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करना चाहते थे।

अक्सर स्टार्टअप्स निवेश पाने के लिए संघर्ष करते हैं, लेकिन Urban Monkey ने यह साबित किया कि सही रणनीति और आत्मविश्वास के साथ बिना बाहरी निवेश के भी सफलता हासिल की जा सकती है।

बिना भारी इन्वेंट्री के बिजनेस को स्केल करना

Urban Monkey ने अपने बिजनेस मॉडल को इस तरह से डिजाइन किया कि उन्हें भारी मात्रा में इन्वेंट्री स्टॉक करने की जरूरत नहीं पड़ी।

  • उन्होंने अपने मैन्युफैक्चरिंग प्रोसेस को आउटसोर्स किया, जिससे उत्पादन लागत कम हो गई।
  • मांग के अनुसार सीमित मात्रा में स्टॉक रखा, जिससे इन्वेंट्री का जोखिम कम हुआ।
  • सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेचने की रणनीति अपनाई, जिससे अतिरिक्त लागत बची।

इस मॉडल के कारण Urban Monkey को बिना भारी पूंजी निवेश के अपने बिजनेस को बड़े पैमाने पर फैलाने का अवसर मिला।

Urban Monkey की सफलता से क्या सीख सकते हैं

परंपरागत रास्तों को चुनौती देना: जब सभी ब्रांड Amazon और Flipkart पर जा रहे थे, Urban Monkey ने अपनी खुद की वेबसाइट से बिक्री करने का फैसला किया।

कल्चर से जुड़ाव बनाना: सिर्फ प्रोडक्ट बेचने से ब्रांड नहीं बनता, बल्कि एक कम्युनिटी बनाने से ब्रांड की पहचान बनती है।

अपने ब्रांड पर भरोसा रखना: निवेशकों को मना करना आसान नहीं था, लेकिन यश को अपने बिजनेस मॉडल पर विश्वास था।

Urban Monkey का अगला कदम

  • Urban Monkey अब नए लक्ष्यों की ओर बढ़ रहा है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विस्तार करने की योजना बना रहा है।
  • नए प्रोडक्ट कैटेगरी जैसे फुटवियर और एक्सेसरीज में कदम रखने की तैयारी कर रहा है।
  • भारतीय हिप-हॉप और स्ट्रीट कल्चर को और मजबूत करने के लिए नई पहल कर रहा है।

Urban Monkey की कहानी यह साबित करती है कि एक साहसी निर्णय, सही रणनीति और समुदाय से जुड़ाव किसी भी ब्रांड को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकता है। यह केवल एक स्ट्रीटवियर ब्रांड नहीं, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है जहां भारतीय ब्रांड्स वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं।