हैंग्यो आइसक्रीम: कभी मुंबई की बिज़ी लाइफ में बैंकिंग की नौकरी करने वाली दीपा पाई ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन वे एक गांव में रहकर भारत के सबसे लोकप्रिय आइसक्रीम ब्रांड्स में से एक की को-फाउंडर बनेंगी। लेकिन यही कहानी उन्हें खास बनाती है—एक ऐसा सफर जिसमें बदलाव को अपनाया गया, सपनों को नया रूप दिया गया और चुनौतियों के सामने मजबूती से खड़ा हुआ गया।
एक नया जीवन, एक नया रास्ता
मुंबई में जन्मी और पली-बढ़ी दीपा पाई का करियर एक स्थिर बैंकिंग नौकरी से शुरू हुआ था। लेकिन 1995 में शादी के बाद जब वह कर्नाटक के एक छोटे से गांव किर्वट्टी में रहने लगीं, तो ज़िंदगी पूरी तरह बदल गई। यह गांव न केवल शहर की भागदौड़ से दूर था, बल्कि यहां बिजली और सुविधाओं की भी कमी थी। मनोरंजन, सामाजिक नेटवर्क और लाइफस्टाइल सब कुछ अलग था। लेकिन दीपा ने हालात से लड़ने के बजाय उन्हें अपनाया और अपने अंदर के जुनून को बाहर लाने की ठानी।
₹5 की सॉफ्टी से करोड़ों के ब्रांड तक :हैंग्यो आइसक्रीम
1997 में एक मामूली शुरुआत हुई—एक छोटा आइसक्रीम पार्लर, जिसमें ₹5 की सॉफ्टी बेची जाती थी। यहां से जो सफर शुरू हुआ, वो 2003 में एक बड़े ब्रांड “Hangyo Ice Creams” की नींव बन गया। हैंग्यो का मतलब होता है “हमारे गांव से”, और इसी सोच को कंपनी ने अपने ब्रांड में उतारा। दीपा और उनके परिवार ने यह तय किया कि सिर्फ स्वाद नहीं, बल्कि गुणवत्ता, पैकेजिंग और स्थानीयता को ब्रांड का हिस्सा बनाया जाएगा।
महिला उद्यमिता की एक प्रेरक मिसाल
जब दीपा ने सक्रिय रूप से हैंग्यो के संचालन में हिस्सा लेना शुरू किया, तो वह एक ऐसे इंडस्ट्री में कदम रख रही थीं जिसे आमतौर पर पुरुष-प्रधान माना जाता है—फूड मैन्युफैक्चरिंग और रिटेल। लेकिन उन्होंने ब्रांडिंग, प्रोडक्ट इनोवेशन और कंज़्यूमर बिहेवियर की गहरी समझ के दम पर कंपनी को तेज़ी से आगे बढ़ाया। उनकी सोच थी कि “आइसक्रीम केवल स्वाद नहीं, बल्कि एक अनुभव है।” और इसी सोच के तहत हैंग्यो ने कई इनोवेटिव फ्लेवर और प्रोडक्ट्स लॉन्च किए जैसे कि चोको रॉकी, सॉफ्टी मैजिक और किड्स स्पेशल कलेक्शन।
परिवार के साथ मिलकर बिज़नेस
हैंग्यो की सबसे बड़ी ताकत है इसका फैमिली-ड्रिवन अप्रोच। दीपा पाई के बेटे और अगली पीढ़ी भी अब इस ब्रांड को आगे बढ़ाने में लगी है। दीपा खुद पैकेजिंग से लेकर टेस्टिंग तक हर पहलू पर ध्यान देती हैं। वे मानती हैं कि छोटे-छोटे डिटेल्स पर ध्यान देने से ही कोई ब्रांड आम से खास बनता है।
आज हैंग्यो कहां है?
आज हैंग्यो एक ₹300 करोड़ का ब्रांड बन चुका है, जो भारत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी जगह बना रहा है। देश के कई हिस्सों में ब्रांड की फैक्ट्री और डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क है। ब्रांड का मकसद है “सिर्फ बिज़नेस नहीं, बल्कि लोकल इकोनॉमी और टैलेंट को आगे लाना।” हैंग्यो ने सैकड़ों स्थानीय लोगों को रोज़गार दिया है, खासकर महिलाओं को, जो अब आत्मनिर्भर बन चुकी हैं।
दीपा पाई की सोच और दृष्टिकोण
दीपा मानती हैं कि उद्यमिता की कोई उम्र, कोई सीमा नहीं होती। अगर आप में सीखने और कुछ नया करने का जज़्बा है, तो आप कहीं से भी शुरुआत कर सकते हैं। उनका संदेश महिलाओं के लिए खास तौर पर यह है कि “परिस्थितियां चाहे जैसी हों, खुद पर भरोसा रखना ही सबसे बड़ी ताकत होती है।”
दीपा पाई की कहानी सिर्फ एक ब्रांड के बनने की नहीं है, बल्कि यह उस साहस और दृष्टिकोण की कहानी है जो किसी साधारण जीवन को असाधारण बना देता है। मुंबई की एक साधारण महिला ने गांव से एक ऐसा ब्रांड खड़ा किया, जो आज देशभर में पहचान बना चुका है। हैंग्यो की सफलता इस बात का प्रमाण है कि छोटे विचार भी अगर सच्चे इरादों और मेहनत के साथ काम में लिए जाएं, तो वे बड़ा बदलाव ला सकते हैं।