भारत की तेजी से बढ़ती गिग इकॉनमी में जहां अधिकतर प्लेटफॉर्म्स अपने पार्टनर्स से सेवा पर कमीशन लेते हैं, वहीं Yes Madam ने एक सराहनीय और अलग राह चुनी है। कंपनी ने हाल ही में अपने शीर्ष प्रदर्शन करने वाले सेवा पेशेवरों के लिए “0% कमीशन” नीति लागू की है। यह निर्णय सिर्फ एक बिजनेस स्ट्रेटजी नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की ओर भी इशारा करता है।
प्रेरणा बनी एक आम महिला की असाधारण कहानी
इस बदलाव की शुरुआत एक साधारण सी लगने वाली लेकिन बेहद प्रेरणादायक कहानी से हुई। दिल्ली निवासी अमित सिंह ने एक दिन LinkedIn पर एक पोस्ट साझा की, जिसमें उन्होंने अपनी मां की पसंदीदा ब्यूटी सर्विस प्रोफेशनल रीता देवी की कहानी दुनिया के सामने रखी। रीता देवी की कहानी एक ऐसे समाज का आईना है जहाँ आज भी बेटियों की माँ होने पर महिलाओं को दोषी ठहराया जाता है। महज़ 18 साल की उम्र में शादी, पारिवारिक दबाव, आर्थिक तंगी और COVID के कठिन समय ने रीता की जिंदगी को मुश्किलों से भर दिया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जब Yes Madam में एक सेवा प्रदाता बनने का मौका मिला, तो रीता देवी ने पूरे समर्पण से काम शुरू किया। आज चार साल बाद, वे हर महीने ₹70,000 से ₹90,000 तक की कमाई कर रही हैं और अपनी चार बेटियों को बेहतर शिक्षा दे रही हैं।
एक पोस्ट ने बदला बिजनेस मॉडल
Yes Madam के को-फाउंडर मयंक आर्य ने जब यह पोस्ट पढ़ी, तो उन्होंने रीता देवी और अपने बाकी टॉप प्रोफेशनल्स को दिल्ली के एक 5-स्टार होटल, The Taj, में लंच पर आमंत्रित किया। वहां पर एक-एक कर सामने आईं ऐसी ही कई कहानियाँ—संघर्ष, आत्मबल, और बदलाव की कहानियाँ। मयंक ने उस दिन महसूस किया कि सिर्फ तारीफ करना काफी नहीं है, अब वक़्त है कुछ असली बदलाव लाने का। और वहीं से जन्म हुआ 0% कमीशन मॉडल का।
अब कमाई पर पूरा अधिकार
अब से, Yes Madam के टॉप परफॉर्मिंग ब्यूटी प्रोफेशनल्स को अपनी पूरी कमाई अपने पास रखने का अधिकार होगा। इसका मतलब यह हुआ कि जो भी ग्राहक पेमेंट करता है, वह सीधा सेवा प्रोवाइडर को मिलेगा, कंपनी एक भी रुपये का हिस्सा नहीं लेगी। मयंक आर्य ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हम clap करने वाले नहीं हैं, हम change लाने वाले बनना चाहते हैं। अगर कोई रीता देवी जैसी प्रोफेशनल इतना संघर्ष करके ऊपर आई हैं, तो उन्हें हर एक रुपये का पूरा हक़ मिलना चाहिए।”
गिग इकॉनमी के लिए एक नई मिसाल
भारत में गिग वर्कर्स के लिए यह कदम एक मिसाल बन सकता है। जहाँ अधिकांश कंपनियाँ 20% से 40% तक कमीशन वसूलती हैं, वहाँ Yes Madam का यह मॉडल उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने का रास्ता खोलता है। यह पहल न केवल वित्तीय सहयोग देती है, बल्कि मानसिक और सामाजिक स्तर पर भी सेवा प्रोफेशनल्स को मजबूती देती है। जब किसी महिला को उसकी मेहनत का पूरा फल मिलता है, तो वह न केवल खुद सशक्त होती है, बल्कि अगली पीढ़ी के लिए भी प्रेरणा बनती है।
Yes Madam की सोच, सिर्फ बिज़नेस नहीं—एक बदलाव
Yes Madam सिर्फ एक टेक प्लेटफॉर्म नहीं, यह एक ऐसी सोच का नाम है जो मानती है कि व्यवसाय की सफलता तभी है जब उससे जुड़े हर व्यक्ति को सम्मान और लाभ मिले। यह कंपनी 2016 में स्थापित हुई थी और आज भारत के 50+ शहरों में हज़ारों ग्राहकों को घर बैठे सैलून सेवाएँ प्रदान कर रही है। टेक्नोलॉजी के जरिए प्रोफेशनल्स को रोज़गार और विकास के मौके देना इसका मुख्य उद्देश्य है।
बदलाव की शुरुआत वहीं से होती है जहाँ इंसानियत और विज़न साथ चलें रीता देवी जैसी महिलाएं आज लाखों लोगों के लिए मिसाल हैं, और Yes Madam जैसे प्लेटफॉर्म्स अगर उनके सफर को आसान बनाते हैं, तो वह समाज के लिए वरदान से कम नहीं। 0% कमीशन मॉडल इस बात का प्रमाण है कि सही सोच और इरादों से बिज़नेस केवल पैसा नहीं, बल्कि पॉजिटिव इम्पैक्ट भी पैदा कर सकता है।