राली चौहान गांव की सोनिका: संघर्ष से कामयाबी की मिसाल

मेरठ जिले के राली चौहान गांव की सोनिका आज अपनी मेहनत और जिद के दम पर एक मिसाल बन चुकी हैं। एक समय ऐसा था जब उनका परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। पति की छोटी-सी आय से घर चलाना मुश्किल था। लेकिन सोनिका ने हार मानने के बजाय अपने हालात बदलने का फैसला किया और झाड़ू बनाने के व्यवसाय के जरिए अपनी और अपने परिवार की जिंदगी बदल डाली।

कठिन हालात से शुरुआत

सोनिका का परिवार उस दौर में बेहद कठिनाइयों का सामना कर रहा था। उनके पति, जो पेशे से पेंटर थे, महीने में कुछ ही दिनों का काम कर पाते थे। बच्चों की पढ़ाई और घर का खर्च संभालना मुश्किल हो गया था। ऐसे में सोनिका ने खुद कुछ करने की ठानी। उन्होंने झाड़ू बनाने का काम सीखने का फैसला किया ताकि घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

झाड़ू बनाने की कला सीखी सोनिका ने जेल चुंगी स्थित केनरा आरसेटी (Canara RSETI) से छह दिन का प्रशिक्षण लिया। इस प्रशिक्षण में उन्होंने झाड़ू बनाने के तरीके सीखे। व्यवसाय शुरू करना आसान नहीं था। इसके लिए उन्हें 25,000 रुपये का कर्ज लेना पड़ा। उन्होंने अपने घर से ही झाड़ू बनाने का काम शुरू किया।

समाज की रुकावटें और उनका सामना

शुरुआत में सोनिका को बाजार जाकर खुद अपने झाड़ू बेचने पड़ते थे। एक गांव की महिला के लिए यह काम आसान नहीं था। लोग उनका मजाक उड़ाते और उन्हें ताने मारते। लेकिन सोनिका ने इन सारी बातों को नजरअंदाज करते हुए अपने काम पर ध्यान दिया। धीरे-धीरे उनके झाड़ू की मांग बढ़ने लगी। स्थानीय दुकानदारों ने उनके उत्पादों को सराहा और खरीदना शुरू किया। मांग बढ़ने पर उन्होंने अपने पति और गांव की अन्य महिलाओं को भी काम में शामिल किया। यह सोनिका का ही प्रयास था कि अब उनके साथ कई महिलाएं काम कर रही हैं और आत्मनिर्भर बन रही हैं।

सफलता का सफर

आज सोनिका का व्यवसाय इतनी तरक्की कर चुका है कि उनके झाड़ू ट्रकों के जरिए सप्लाई किए जाते हैं। उनकी मासिक आय अब 50,000 रुपये तक पहुंच चुकी है, और उनका सालाना टर्नओवर 10 से 12 लाख रुपये का हो गया है। सोनिका ने अपने साथ काम करने वाली महिलाओं को प्रतिदिन 800 से 1000 रुपये का मेहनताना देना शुरू किया है। यह केवल एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है जो उनके गांव की कई महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है। गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा सोनिका की कहानी यह साबित करती है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता। मेहनत और धैर्य से हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। आज सोनिका अपने गांव की महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उन्होंने यह दिखा दिया कि सही इरादों और दृढ़ निश्चय के साथ किसी भी सपने को पूरा किया जा सकता है।

संदेश

सोनिका की संघर्ष और सफलता की यह कहानी हमें सिखाती है कि चुनौतियों का सामना करके अपने सपनों को साकार किया जा सकता है। उनकी यह यात्रा उन सभी महिलाओं को प्रेरित करती है जो अपने परिवार और समाज के लिए कुछ बड़ा करना चाहती हैं।